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syed ajmer sharif dargah

ख्वाजा गरीब नवाज़ के खादिम ए खास अजमेर शरीफ दरगाह: पूरी जानकारी 

परिचय:

अजमेर शरीफ दरगाह को पूरी दुनिया में हज़रत सय्यदना ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती र.अ  की दरगाह के रूप में जाना जाता है, जो सब मज़हबों मिल्लत के लिए मूहोंबबत और अक़ीदत का एक प्रमुख केंद्र है। लेकिन इसके साथ-साथ इस पवित्र स्थल पर एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का नाम भी आदर से लिया जाता है - खादिम ए खास। ये वो व्यक्ति हैं जो सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज़ र.अ  की विशेष सेवा हर वक्त खिदमत  में लगे रहे और सरकार गरीब नवाज़ के परदा बाद भी उनकी सेवा खिदमत की जिम्मेदारी निभाते रहे। इस लेख में हम खादिम ए खास हज़रत सय्यदना ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी (र.अ.) के बारे में विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि उनकी सेवा खिदमत का महत्त्व क्या था।

हज़रत सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज़ जब अपने पीर सरकार सय्यदना हज़रत ख्वाजा उस्मान हरवनी र.अ से इजाजत ले के सफर के लिए निकले तो आपके पीर ने हज़रत ख्वाजा फखरूद्दीन गरदेज़ी चिश्ती र.अ को हज़रत ख्वाजा मॉइनूद्दीन चिश्ती र.अ के सपुर्द किया था, और हज़रत ख्वाजा उस्मान हरवनी ने अपने मुरीद ख्वाजा फाखरूद्दीन को नसहित की थी मोइनूद्दीन का साथ कभी नहीं छोड़ना कभी अकेला मत छोड़ना हमेशा खिदमत मे रहना इसलिए ख्वाजा फाखरूद्दीन को सरकार गरीब नवाज़ ने अपने सीने से लगाके रखा हमेशा और उनकी औलादों को भी अपने सीने से लगाके रखा है और कयामत तक अपने साथ रखेंगे सरकार गरीब नवाज़ . 

 

Khadim-e-Khaas Ki Bhumika Ajmer Sharif Dargah Mein

 

​खादिम ए खास का अर्थ:

"खादिम" का मतलब होता है "सेवक" या "जो सेवा करता है"। जेसे मा बाप की सेवा करना खिदमत यह शब्द उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जो अपनी श्रद्धा और निष्ठा से किसी संत या धार्मिक गुरु की सेवा करता है। "खादिम ए खास" का अर्थ है विशेष सेवक, यानी वह व्यक्ति जो गुरु या संत की विशेष सेवा करता हो। हज़रत सय्यदना ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी को यह विशेष दर्जा प्राप्त था, और वह सुलतानुल हिन्द सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज  र.अ  की सेवा खिदमत में पूरी निष्ठा से लगे रहे और उनकी औलाद भी आज तक ये रसम पूरी कर रही है जो मोजूदा सय्यद अजमेर शरीफ है खादिम हज़रात ।

 

Khawaja Garib Nawaz Ki Seva Aur Uska Virasat

हज़रत ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का जीवन:

हज़रत सय्यद ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का जन्म हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलेहीसलाम की औलादों मे हुआ । और  सरकार ख्वाजा गरीब नवाज के साथ पूरी ज़िंदगी खिदमत  करते हुए अजमेर शरीफ आए थे और यहां की पवित्र दरगाह पर अपनी पूरी ज़िंदगी सेवा में समर्पित कर दी। हीनदल  वली ख्वाजा गरीब नावाज़  की जीवनभर की सेवा में उन्होंने अपने जीवन के 93 साल लगाए। ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी को अजमेर शरीफ में विशेष स्थान प्राप्त था और उनकी सेवा का स्तर इतना ऊँचा था कि सरकार गरीब नावाज़ के पर्दा लेने के 10 साल बाद हज़रत सय्यद फखरूद्दीन भी इसस दुनीया से परदा लेगए इनका मज़ार  अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज के मज़ार के पास स्थित है। सरकार ख्वाजा गरीब नवाज़ ने हमेशा अपने सिने से लगाके रखा और पर्दा लेने के बाद भी अपने सिने से लगा के रखा मज़ार को अपने दूर नहीं होने दिया अपने आस्ताने मे ही रखा सुबहान अल्लाह। 

 

Ajmer Sharif Dargah aur Uska Mahatva

खादिम ए खास की सेवा:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी की सेवा का एक महत्वपूर्ण पहलू था खिदमत के साथ साथ  लंगर की व्यवस्था। खुद करते थे सरकार सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज के हुकूम से और उस समय से लेकर आज तक अजमेर शरीफ में लंगर चलता आ रहा है, और यह भी एक एजाज  है सय्यद अजमेर का । ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी ने भी अपनी ज़िंदगी में इस लंगर की व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई। लंगर के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि मानवता की सेवा में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह सेवा हर धर्म और हर जाति के लिए समान है। ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का यह काम आज भी अजमेर शरीफ की दरगाह में जीवित है।

उनकी जीवित सेवा का महत्व:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सेवा का वास्तविक अर्थ सिर्फ भक्ति में नहीं, बल्कि लोगों की मदद करने में है। उनकी सेवा ने यह साबित कर दिया कि एक सच्चे सेवक खादिम की पहचान उसकी निष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण में होती है। ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी की विशेष सेवा ने ही अजमेर शरीफ दरगाह को एक स्थान नहीं बल्कि एक सेवा का केंद्र बना दिया।

हज़रत फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का मजार:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का मजार अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज के मजार के पास स्थित है। इस मजार का स्थान बहुत ही पवित्र है।  और यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी समस्याओं का हल ढूंढते हैं। मजार के पास ही तोशाखाना है, जहां ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी की पवित्र धरोहर और अन्य धार्मिक वस्तुएं रखते हैं। यही वह स्थान है, जहां ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी को दफनाया गया था। यह स्थान आज भी उन सभी के लिए एक आस्था का केंद्र है, जो ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में अपनी आस्था रखते हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज और फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का रिश्ता:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी और ख्वाजा गरीब नवाज के बीच का रिश्ता एक खानदान का था एक खानदान के हैं हज़रत इमाम मूसा अल काज़िम अलेहीसलाम  की औलाद मे से । ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी के बारे अक्सर सरकार सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज इन अल्फ़ाज़ से पुकारते थे  "फ़ख़्रना बी फ़ख़्रुद्दीन" (फ़ख़्रुद्दीन मेरा गर्व है) । यह विशेष संदर्भ बताता है कि ख्वाजा गरीब नवाज को अपने खादिम पर कितना गर्व था। अक्सर सरकार गरीब नवाज़ इन लकब से पुकारते थे । सुबहान अल्लाह हिन्दलवली सरकार सय्यदना ख्वाजा मॉइनूद्दीन चिश्ती र.अ अपने खादिम खास को कहते थे फखरूद्दीन मेरा फख्र है । 

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी की शिक्षा और तालीम:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी ने अपनी पूरी ज़िंदगी ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अपनी श्रद्धा को दिखाया। उन्होंने अपना जीवन धर्म की सेवा में व्यतीत किया और हमेशा यह सिखाया कि एक सच्चे सेवक को अपने गुरु के आदेशों का पालन करना चाहिए। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता, सेवा ही सर्वोत्तम है। खिदमत की अजमत क्या है ये हज़रत ख्वाजा फाखरूद्दीन गरदेज़ी ने बतलाया है। 

खादिम ए खास की वंशावली:

हज़रत ख्वाजा सय्यद फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी र.अ के तीन बेटे हुए थे: 

हज़रत सय्यद मौलाना मसूद, 

हज़रत सय्यद बेहलोल, 

हज़रत सय्यद इब्राहीम 

इन तीनों के नाम से ही खादिम ए खास की वंशावली आगे बढ़ी। इस परिवार के सभी सदस्य ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अपनी श्रद्धा और सेवा खिदमत में पूरी निष्ठा से लगे रहे। उनकी वंशावली को "खुद्दामे ख्वाजा" कहा जाता है। आज जो ख्वाजा गरीब नवाज़ के खादिम है सय्यद अजमेर शरीफ यही हैं । 

 

निष्कर्ष:

ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सेवा का असली उद्देश्य सिर्फ दूसरों की मदद करना नहीं बल्कि गुरु की नीतियों और आस्थाओं को फैलाना भी है। ख्वाजा फ़ख़रुद्दीन ग़र्देज़ी की पवित्रता और सेवा ने अजमेर शरीफ को एक धार्मिक स्थल के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध किया। आज भी उनकी सेवा का यह सिलसिला जारी है, और यह हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची इबादत और खिदमत की कोई सीमा नहीं होती।

सुलतानुल हिन्द हज़रत सय्यदना ख्वाजा मॉइनूद्दीन चिश्ती र.अ  के खादिम सय्यद फखर नवाज़ चिश्ती और उनकी फेमिली हमेशा आस्तान ए अकदस मे रहते हैं और कलीद बरदारी भी समभालते है ( key holders ) और दुनिया भर मे सबको मूहोंबबत भरा पेगहाम देते है और कयामत तक ये काम जारी रहेगा आमीन .

 

Ajmer Sharif Dargah History in Hindi

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