जन्नती दरवाज़ा अजमेर शरीफ (राजस्थान, भारत) में स्थित है और यह दरगाह हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की मज़ार के पास स्थित है। यह दरवाज़ा न केवल एक दरवाज़ा है, बल्कि आध्यात्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक है। हर साल यहां लाखों ज़ायरीन आते हैं ताकि अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल कर सकें।
इस दरवाज़े का महत्व उन श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ा है जो इसे सात बार पार करते हैं, क्योंकि यह दरवाज़ा स्वर्ग (जन्नत) के रास्ते का प्रतीक माना जाता है।
जन्नती दरवाज़ा क्या है?
जन्नती दरवाज़ा मज़ार के पश्चिम में स्थित है। यह दरवाज़ा चांदी से तैयार किए गए दरवाज़े और संगमरमर की दीवार से घिरा हुआ है। इसका जुड़ाव हज़रत शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह जैसे महान सूफी संत से है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इसे पार करने से स्वर्ग की बरकतें मिलती हैं।
कहा जाता है कि जो भी विशिष्ट विधि से इसे सात बार पार करता है, वह स्वर्ग में स्थान पा सकता है। इस मान्यता का प्रभाव इतना है कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं और इस आध्यात्मिक प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
जन्नती दरवाज़े से जुड़ी विधि
जन्नती दरवाज़ा पार करने की प्रक्रिया पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ की जाती है। यह माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति इसे सात बार लगातार पार करता है, तो उसे स्वर्ग का स्थान मिलता है। श्रद्धालु दरवाज़े के संगमरमर की दीवार से दक्षिण दिशा की ओर से प्रवेश करते हैं और किसी भी प्रकार का विराम लिए बिना इस प्रक्रिया को एक साथ पूरा करते हैं।
जन्नती दरवाज़े का आशीर्वाद
एक दंतकथा के अनुसार, हज़रत शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह ने इस दरवाज़े को यह बरकत दी थी कि जो भी इसे पार करेगा, उसे जन्नत का स्थान मिलेगा। यह आशीर्वाद न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि हर धर्म और जाति के लोगों के लिए है। यही वजह है कि यहां लोग बड़ी श्रद्धा से आते हैं।
जन्नती दरवाज़ा कब खुलता है?
जन्नती दरवाज़ा साल भर में सिर्फ कुछ विशेष रातों और मौकों पर खुलता है। इस दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। दरवाज़ा निम्न अवसरों पर खोला जाता है:
उर्स के दोरान (1 से 6 रजब)उर्स के दिनों में, यह दरवाज़ा सुबह से लेकर दोपहर तक खुला रहता है। यह अवसर हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की याद में आयोजित होता है।
ईद-उल-फितरईद-उल-फितर के दिन यह दरवाज़ा सूरज निकलने के ढाई घंटे बाद से लेकर दोपहर 2.30 बजे तक खुला रहता है।
हज़रत ख्वाजा उस्मान-ए-हारूनी रदियालहअनहू का उर्सईद-उल-फितर के छठे दिन जन्नती दरवाज़ा हस्तक्षेप के लिए खोला जाता है।
10 जिलहिज्जाजिलहिज्जा की 10 तारीख को यह दरवाज़ा ज़ोहर की नमाज़ के बाद खुलता है और शाम तक खुला रहता है।
जन्नती दरवाज़े का प्रबंधन
जन्नती दरवाज़े की देखभाल और संचालन का दायित्व अजमेर शरीफ दरगाह के सय्यद खादिम समुदाय पर है। यह सय्यद समुदाय दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज़ के मज़ार अकदस की खिदमत और दरवाज़े के पवित्रता की रक्षा करता है और श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देता है। पुलिस भी यहां भीड़ को नियंत्रित करने में मदद करती है, खासकर उर्स के दौरान।
जन्नती दरवाज़े का आध्यात्मिक महत्व
यह दरवाज़ा केवल भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जो श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और सुकून की ओर ले जाता है। इसे पार करना ज़िंदगी में एक बार का अनुभव होता है, जो दिलों में हमेशा के लिए बस जाता है।
अंत में
जन्नती दरवाज़ा, अजमेर शरीफ, आस्था और विश्वास का अद्भुत प्रतीक है। अगर आप अंदरूनी शांति या खुदा के करीब महसूस करना चाहते हैं, तो इस दरवाज़े को पार करना एक अनमोल अनुभव होगा। यह वह स्थान है जो सभी को समान रूप से आशीर्वाद देता है। यहां आना और इस अनुभव को महसूस करना एक आध्यात्मिक यात्रा की तरह है।